सौर मंडल के महत्वपूर्ण तथ्य
सौर मंडल सूर्य का एक मंडल है, जिसमें 8 ग्रह, बौना ग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का, एवं धूमकेतु शामिल हैं जो सूर्य के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के अंतर्गत आते हैं।
उद्गम
ब्रह्मांड एवं सौर मंडल के विकास के 3 से 4 प्रमुख सिद्धांत हैं। इन सभी सिद्धांतों में सबसे प्रसिद्ध सिद्धांत बिग बैंग थ्योरी है।
जॉर्ज लेमैत्रे (Georges Lemaitre) द्वारा प्रस्तावित इस सिद्धांत के अनुसार, ब्रह्मांड का विकास एक सूक्ष्म विलक्षणता से हुआ है और फिर यह अगले 13.8 बिलियन वर्षों तक विस्तृत होता है और इसका विस्तार अभी भी हो रहा है।
इससे कई अरब आकाशगंगाओं, सौर मंडलों, तारों इत्यादि का निर्माण हुआ है।
हमारा सौर मंडल एक सर्पिल आकार की आकाशगंगा में है जिसे ‘मिल्की वे (Milky Way)’ कहा जाता है। हमारी सबसे निकटतम आकाशगंगा ‘एंड्रोमेडा (Andromeda)’ है।
सामान्यतः प्रत्येक आकाशगंगा के केंद्र में एक ब्लैक होल होता है। मिल्की वे के केंद्र में ‘सेगिटेरियस ए (Sagittarius A)’ नामक ब्लैक होल है।
सौर मंडल
हमारे सौर मंडल में, 8 ग्रह एवं कई अन्य खगोलीय पिण्ड अण्डाकार कक्षाओं में सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
प्लूटो नामक बौने ग्रह (dwarf planet) को 2006 में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा ग्रहों की सूची से हटा दिया गया था।
सूर्य, सौर मंडल का ऊर्जा स्त्रोत है/ यह सौर मंडल में ऊर्जा का एकमात्र स्त्रोत है।
बुध ग्रह सूर्य के सबसे निकट है जबकि वरूण ग्रह सूर्य से सबसे अधिक दूर है।
मंगल एवं बृहस्पति के बीच एक क्षुद्रग्रह पट्टी (asteroid belt) है। पट्टी के अन्दर के ग्रह, बाहर वाले ग्रहों से आकार, द्रव्यमान एवं रचना इत्यादि के संदर्भ में स्पष्ट रूप से भिन्न हैं।
पट्टी (belt) के अन्दर वाले ग्रहों को स्थलीय ग्रह (Terrestrial planets) कहा जाता है और वे ग्रह बुध, शुक्र, पृथ्वी एवं मंगल हैं। सीमा के बाहर वाले ग्रहों को जोवियन ग्रह (Jovian planets) कहा जाता है और वे ग्रह बृहस्पति, शनि, अरुण (यूरेनस) एवं वरुण (neptune) हैं।
स्थलीय ग्रह महीन वातावरण के साथ धातु खनिजों एवं चट्टानी परतों सहित सूर्य के निकट होते हैं तथा इनमें प्राक्रतिक उपग्रहों की संख्या कम होती है। जबकि जोवियन ग्रह सूर्य से दूर होते हैं तथा गैसीय होते हैं, इनके चारों ओर वलय (rings) होते हैं और इनमें प्राकृतिक उपग्रहों की संख्या अधिक होती है।
सूर्य एवं ग्रहों के संदर्भ में तथ्य
1. सूर्य
हमारे सौर मंडल में एकमात्र तारा और सौर मंडल का ऊर्जा स्त्रोत है।
हाइड्रोजन (71%) एवं हीलियम (27%) गैसों तथा अन्य धातुओं से निर्मित है। सूर्य में हमारे सौर मंडल का लगभग 99% द्रव्यमान है।
यह पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित है। इसका प्रकाश पृथ्वी तक पहुँचने में 3 लाख कि.मी/सैकंड की गति से लगभग 8 मिनट 16.6 सैकंड का समय लेता है।
सतह का तापमान = 6000डिग्री सेल्सियस
केंद्र का तापमान = 15 मिलियन C
2. बुध ग्रह
यह सूर्य से सबसे निकटतम तथा अत्यधिक गर्म ग्रह है।
यह 4900 कि.मी. के व्यास के साथ सौर मंडल का सबसे छोटा ग्रह है।|
यह 172500 कि.मी. प्रति घंटा की गति से 88 दिनों में सूर्य के चारों ओर घूर्णन को पूर्ण करने वाला सबसे तेज ग्रह है।
इस ग्रह पर जल एवं नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन एवं कार्बन-डाई-ऑक्साइड जैसी गैंसे उपस्थित नहीं हैं।
3. शुक्र
सौर मंडल का सबसे गर्म ग्रह जिसका सतही तापमान 478 डिग्री सेल्सियस होता है।
इसे पृथ्वी के जुड़वा ग्रह (“Earth’s Twin”) के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा शुक्र तथा पृथ्वी के बीच आकार तथा द्रव्यमान में समानता के कारण है।
सौर मंडल के दो ग्रहों में से एक ग्रह ऐसा होता है जो अक्ष के चारों ओर दक्षिणावर्त दिशा में घूर्णन करता है।
सौर मंडल का सबसे चमकदार तारा है। इसे सुबह एवं शाम को खुली आँखों से स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इसलिए इसे “सांझ का तारा (इवनिंग स्टार)” एवं “भोर का तारा (मोर्निंग स्टार)” भी कहा जाता है।
4. पृथ्वी
एक अच्छे वातावरण के साथ जीवन को समर्थन देने वाला एकमात्र ग्रह है।
इस पर जल की उपलब्धता के कारण इसे “नीला ग्रह (ब्लू प्लेनट)” भी कहा जाता है।
इसका एक प्राकृतिक उपग्रह “चन्द्रमा” है।
5. मंगल
इसे लौह-युक्त लाल मृदा के कारण “लाल ग्रह” भी कहा जाता है।
यह बुध के बाद सौर मंडल का दूसरा सबसे छोटा ग्रह है।
इसमें दो प्राक्रतिक चंद्रमा “फोबोस” एवं “डीमोस” हैं।
इसमें घाटियों, गड्ढ़ों, रेगिस्तानों तथा आईस कैप इत्यादि के साथ महीन वातावरण और सतह शामिल है।
“ओलम्पस मोन्स” – मंगल ग्रह पर सौर मंडल में सबसे बड़ा ज्वालामुखी तथा सबसे बड़ा पर्वत है।
6. बृहस्पति
यह सबसे कम घूर्णन अवधि वाला सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है।
इसके वातावरण में हाइड्रोजन, हीलियम एवं अन्य गैसें उपस्थित होती हैं।
यह चन्द्रमा एवं शुक्र के बाद रात्रि आकाश में तीसरा सबसे अधिक चमकदार ग्रह है।
सौर मंडल में इस ग्रह पर एक विशाल तूफ़ान ग्रेट रेड स्पॉट होता है।
इसमें 4 विशाल गेलिनियन चंद्रमाओं “आई.ओ, यूरोपा, गेनीमेड एवं केलिस्टो” सहित कम से कम 67 चंद्रमा होते हैं, जिनकी खोज गेलिलियो द्वारा की गई थी। इन सब में “गेनीमेड़” सबसे बड़ा है।
इसके चारों ओर एक अस्पष्ट वलय (ring) होता है।
7. शनि ग्रह
सौर मंडल में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह एवं एक विशालकाय गैसीय पिंड|
इसके चारों ओर चमकदार एवं संकेन्द्रीय वलय होते हैं जो छोटी चट्टानों एवं बर्फ के टुकड़ों के बने होते हैं।
ग्रह जल पर तैर सकता है क्योंकि इसका घनत्व जल से कम होता है।
इसके निम्नतम 62 चंद्रमा हैं तथा उनमें सबसे बड़ा टाइटन (Titan) है।
8. अरुण ग्रह (यूरेनस)
इसका सौर मंडल में तीसरी सबसे बड़ी ग्रह त्रिज्या एवं चौथा सबसे बड़ा ग्रह द्रव्यमान है।
यह हरे रंग का होता है।
इसकी खोज विलियम हेर्स्चेल ने 1781 में की थी।
इसे “विशाल हिमखंड (Ice Giant)” के नाम से भी जाना जाता है। अरूण ग्रह (यूरेनस) का वातावरण प्राथमिक रूप से हाइड्रोजन एवं हीलियम से मिलकर बना है, किन्तु इसमें अधिक जल, अमोनिया इत्यादि भी हैं।
सौर मंडल में इस ग्रह का वातावरण सबसे ठंडा/शीतल है।
यह शुक्र (वीनस) के समान किन्तु अन्य ग्रहों के विपरीत, अपने अक्ष पर दक्षिणावर्त घूर्णन करता है।
इसके निम्नतम 27 चंद्रमा हैं। लोकप्रिय चंद्रमा – मिरांडा, एरियल एवं अमब्रिल इत्यादि हैं।
9. वरूण ग्रह (Neptune)
यह ग्रह सूर्य से अधिकतम दूरी पर स्थित है।
इसे भी “विशाल हिमखंड (Ice Giant)” कहते हैं। इसका वातावरण में प्राथमिक रूप से हाइड्रोजन एवं हीलियम का संयोजन है।
मीथेन के कारण इसका रंग हल्का नीला होता है।
यह सौर मंडल में चौथा सबसे बड़ा ग्रह एवं तीसरा सबसे अधिक द्रव्यमान वाला ग्रह है।
इसकी खोज जॉन गेल एवं उर्बेन ले वेरर द्वारा 1846 में की गई थी। यह ऐसा एकमात्र ग्रह है जिसकी खोज गणितीय पूर्वानुमान के द्वारा की गई है।
इसमें 14 उपग्रह हैं। प्रसिद्ध चंद्रमा – ट्राईटन (Triton) है।
10. प्लूटो
अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (आई.ए.यू) द्वारा निर्धारित की गई ग्रहों की नईं परिभाषा के अनुसार, प्लूटो को 2006 में ग्रहों की सूची से हटा दिया गया है।
प्लूटो को अब एक बौना ग्रह माना जाता है (जिसका आकार ग्रहों एवं क्षुद्रग्रहों के बीच है) एवं यह कुईपर पट्टी का एक सदस्य है।
कुइपर पट्टी वरुण ग्रह के कक्ष के बाहर एक अण्डाकार सीमा है जिसमें क्षुद्रग्रह, चट्टानें एवं धुमकेतू निहित हैं।
अन्य अन्तरिक्ष वस्तुएं
1. क्षुद्रग्रह
ये छोटी वस्तुएं होती हैं; चट्टानें (ज्यादातर अवशेष) सूर्य के चारों ओर घूर्णन करते रहते हैं।
ये मुख्यतः क्षुद्रग्रह पट्टी में पाए जाते हैं जो मंगल एवं बृहस्पति के कक्षों के बीच में स्थित होते हैं।
इन्हें छोटे ग्रह भी कहा जाता है।
सेरेस, वेस्टा, साइक सौर मंडल में कुछ प्रसिद्ध एवं सबसे बड़े क्षुद्रग्रह हैं।
2. उल्का एवं उल्कापिंड
इन्हें उल्का (शूटिंग स्टार) भी कहा जाता है।
उल्काएं छोटे आकार की चट्टानी सामग्री होती है जो सामान्यतः क्षुद्रग्रह के टकराव से बनती है एवं पृथ्वी पर पहुँचती है।
पृथ्वी की वायुमंडलीय परतों के कारण, ये छोटी चट्टानें सतह तक पहुंचने से पहले जल जाती हैं।
लेकिन कुछ ऐसी उल्काएं भी हैं जो पूर्ण रूप से नहीं जलती हैं और पृथ्वी की सतह तक पहुँच जाती हैं। उन्हें उल्कापिंड कहा जाता है।
विलियामेट, मबोजी, केप यॉर्क एवं एल चाको (Willamette, Mbozi, Cape York, एवं El Chaco)पृथ्वी पर पाए जाने वाले कुछ उल्कापिंड हैं।
यह माना जाता है कि भारत में लोणार झील, महाराष्ट्र प्लीस्टोसीन युग में एक उल्का प्रभाव के कारण ही निर्मित हुई है।
3. धूमकेतु
ये चमकदार, प्रकाशमान “पुच्छल तारे (Tailed Stars)” होते हैं। ये चट्टानी एवं धात्विक सामग्री होती है जो जमी हुई गैसों (frozen gases) से घिरी होती है।
ये सामान्यतः कुइपर सीमा (Kuiper Belt) में पाए जाते हैं। ये सूर्य की ओर यात्रा करते हैं।
इनका अंतिम भाग (पूंछ) सूर्य के विपरीत होता है एवं अगला भाग सूर्य की ओर होता है।
जब वे सूर्य के नजदीक यात्रा करते हैं तब वे साफ़ दिखाई देते हैं।
हैली धूमकेतु प्रसिद्ध है जो आखिरी बार वर्ष 1986 में प्रकट हुआ था और यह प्रत्येक 76 वर्षों में पुन: प्रकट होता है।